अनूठा ठेला
अनूठा ठेला


आओ, मैंने भी एक ठेला लगाया है,
हर तरह का नेता इसमें बिठाया है।
ये है सर्वश्रेष्ठ, सफ़ेद पोशाक वाला,
उज्जाले की आड़ में,
हर काला काम करने वाला!
इसमें हर तरह का हुनर समाया है,
इसने आज तक, झूठ को सच
और सच को झूठ बना,
बड़ा पैसा कमाया है !
हां, ये महंगा बिकेगा,
आखिर क्यों न हो,
ये उतना ही कमा के लायेगा।
तुम एक कहोगे,
ये हज़ारों घोटाले बड़ी
आसानी से करेग !
फ़ायदे के साथ नुकसान
भी सुन लो...
बताना मेरा फर्ज़ है,
इस नेता को एक मर्ज है,
स्वार्थ इसमें ठूंस-ठूंसकर भरा है,
जब ये सबको धोखा दे सकता है...
तो तुम भी सावधान रहना,
तुम्हारा भी नम्बर लग सकता है।
मेरे पास इससे सस्ते भी नेता मिलेंगे,
जो कभी-कभार घोटाले करेंगे,
इन्हें ज्यादा पैसों की कामना नहीं,
अपनी सात पीढ़ियों की इन्हें
चिन्ता नहीं।
ये अपनी जिन्दगी संवार लेते है,
बस, दो-चार घोटाले कर
कुछ करोड़ कमा लेते है !
ये आखिरी नमूना है,
इसका कोई दाम नहीं,
ये खुद को बेचता नहीं।
कोई इसे ख़रीद पाता नहीं,
बस, देश सेवा के सिवाय
इसे और कुछ आता नहीं,
इसी कारण इसे कोई पूछता नहीं।
मैंने इसे बड़ा समझाया,
कई बार इस पर तरस भी आया।
कहा कि “ दोस्त बिक जाओ,
किसी संसद या कार्यालय में
नज़र आओगे,
वरना सीधे पागलखाने जाओगे।
कानों पर परदे पड़े है सबके
कोई तेरी आवाज़ सुन न पायेगा !
और ग़लती से तू नेता बन भी गया
तो क्या खाक कर पायेगा !
या तू औरों की तरह बन जायेगा,
या किसी दिन शिकार हो मिट्टी
में मिल जायेगा।
ये कलयुग है, यहां पाप हँसता है
ईमान रोता है,
दाम लगते है और ज़मीर बिकता है।“
इस तरह हर किस्म का,
हर दाम का,
नेता मैंने मंगवाया है,
हर तरह का नेता,
आप ही के लिए सजाया है।