राखी एक बंधन प्रेम का
राखी एक बंधन प्रेम का
कभी मन का,
कभी जन्म का
राखी बंधन प्रेम का
एक धागा कच्चा सा
पर रिश्ता बांधे सच्चा सा,
टूटे से न कभी टूटे
राखी बंधन प्रेम का !
वो मेरा रूठना
झगड़ना अधिकार से,
वो तुम्हारा मनाना मुझे
हर बार उसी प्यार से,
कभी तुम मेरी तलवार,
तो कभी ढाल हो।
हो जवाब तुम
जिन्दगी का जो भी सवाल हो,
है सुकुन जब तक
तुम्हारी नज़र में हूं भाई।
बड़े विश्वास से
बांधी राखी तेरी कलाई,
फर्ज तेरा तो मुझ पर कर्ज
हर गांठ का,
राखी बंधन प्रेम का !
तुम कहीं अलग दुनिया में भैया,
और मैं कहीं दूर बसती हूं,
पर दुआओं में तुम्हें सदा रखती हूं,
हो गई मैं सबके लिए बड़ी,
पर तुममें जिन्दा है।
मेरे बचपन की हर घड़ी,
आज भी जब सिर पर
तुम हाथ रखते हो,
मुझे भाई तुम 'पापा'
जैसे दिखते हो,
तुम में बहता निर्झर ममता का,
राखी बंधन प्रेम का !