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Savita Patil

Others

5.0  

Savita Patil

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मां तुझे ढूंढू कहां

मां तुझे ढूंढू कहां

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मां अब तू ही बता,

तूझे ढूंढू मैं कहां ?

तू मिट्टी में मिल गई,

या धुंआ हो गई,


ज़मी से फलक तक,

है कौन-सी जगह

जहां तू खो गई,

मां ! आज तेरी लाड़ो,

अचानक क्यों बड़ी हो गई ?

 

कुछ वक्त जो दे नियती,

हर बात अनकही तुमसे कहती,

पर तू मेरी मां है,

कहां मेरा मन तुझसे छुपा है,

बिन कहे तू मुझे समझती,


क्या कहीं दूर से,

तू आज भी मुझे देखती ?

तुझे कसकर गले लगाना है,

एक बार आ जाओ मां,

प्यार कितना है तुमसे

तुम्हें बताना है !

 

तेरा अक्स है मेरे आकार में,

तू बसती रहेगी मेरे संस्कार में !

ये जानकर भी,

तू न नज़र आएगी कभी,

मां तेरी तलाश जारी रहेगी सदा

रखूंगी तुझे मैं

कहीं मुझ ही में ज़िंदा !


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