कसक
कसक


यूं आज जो हम बिछड़ेगे,
क्या होगी जरा-सी भी कसक बाकी,
जो कभी फिर मिलेंगे!
यूं आज जो हम बिछड़ेगे,
क्या होगी जरा-सी भी कसक बाकी,
जो कभी फिर मिलेंगे !
या फिर ये किस्सा पुराना होगा,
तू आज से बेगाना होगा,
अहल-ए-दिल मेरे,
क्या तेरा-मेरा फसाना,
गुज़रा जमाना होगा !
तुझी में गुम रही इस कदर,
तुझी में गुम रही इस कदर,
मेरी दुनिया वही तू रहा जिधर,
इन निगाहों का एक तू ही मंजर,
तू चला जिस ओर वही मेरी डगर !
अब छुड़ाकर हाथ यूं,
अब छुड़ाकर हाथ यूं,
तूने कोई रंगीन दामन थाम लिया,
ये किसकी पनाहों में जाकर,
जनमों का रिश्ता भूला दिया !
क्या समझा कोई सामान पुराना
जो यूं बदल दिया ?
ये हमसफ़र मेरे,
ये हमसफ़र मेरे,
क्या सफ़र अब तेरा मुझसे जुदा होगा ?
तू किसी और की कश्ती का नाखुदा होगा !
तू किसी और की कश्ती का नाखुदा होगा !