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Omdeep Verma

Abstract

4.5  

Omdeep Verma

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मेरे घर पहुँचा दो मुझे

मेरे घर पहुँचा दो मुझे

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माँ मेरी, मेरे बीबी- बच्चे 

कर रहे सब इंतजार मेरा 

यहाँ भूखा मैं सो रहा हूँ 

वहाँ भूखा है परिवार मेरा 


अब जल्द घर पहुँचना है 

चाहे ट्रक में घुसा दो मुझे। 

साहब पांव पकड़ता हूँ 

बस घर मेरे पहुँचा दो मुझे। 


पेट पालने के लिए अपना 

शहर आपके मैं आया था 

गुजारे कितने साल फिर भी 

भले रहन-सहन न भाया था 


मजदूर की मजबूरी समझो 

निर्दोष हूँ ना सजा दो मुझे।

साहब पांव पकड़ता हूँ 

बस घर मेरे पहुँचा दो मुझे। 


पैदल चल पाना मुश्किल है 

खून निचोड़ लिया मशीनों ने 

सैकड़ों मीलों का सफर कटेगा 

ना जाने कितने दिन-महीनों में 


मरे को जहाज भी आ जाएगी 

राह जिंदे को भी सुझा दो मुझे। 

साहब पांव पकड़ता हूँ 

बस घर मेरे पहुँचा दो मुझे। 


मेरे गांव में ही रहूंगा अब तो 

पेट आधी से ही मैं भर लुंगा 

यहाँ की नौकरी से तो अच्छा 

मैं खेती-बाड़ी वहां कर लुंगा 


कोई ओमदीप भी आया था 

आज से तुम भूला दो मुझे। 

साहब पांव पकड़ता हूँ 

बस घर मेरे पहुँचा दो मुझे। 


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