बेटी शीतल छांव
बेटी शीतल छांव
बेटा होने पर मंगलगान
बेटी पर रोना-धोना क्यों।
हीरे सी बेटी मिट्टी का ढेला
लड़का लोगों सोना क्यों।
उस घर से रब ना रूठे कभी
जिसने बेटी रूपी रतन पाया है।
खिलती मुस्कान महकती खुशबू
बेटी शीतल छांया है।
अपनों के लिए सर्वस्व न्योछावर
बलिदान ना बेटी सा बड़ा कोई
हक के लिए जहाँ खड़ जाती है
उसके सामने ना खड़ा कोई
करे बात कर रणभूमि की
वहां पर भी परचम लहराया है।
खिलती मुस्कान महकती खुशबू
बेटी शीतल छांया है।।
घर बगिया का फूल है बेटी
आयाम नया अरमानों का
बाबुल का घर छोड़ के
बसाती घर पर बगानो का
हंसते-हंसते सहन कर लेती
जितना कहर बंदे ने ढाया है।
खिलती मुस्कान महकती खुशबू
बेटी शीतल छांया है।
हर क्षेत्र में कदम अडिग है
पछाड़ा फिर क्यों जाता है
पैरों की ना जूती समझ इंसान
तेरा हर तरफ से नाता है
कलियों सी काया बोझ बाप पर
'ओमदीप' वक्त यह कैसा आया है।
खिलती मुस्कान महकती खुशबू
बेटी शीतल छाया है।