पेड़ बचाओ
पेड़ बचाओ
पेड़ो को तू काटकर इंसान
अपनी ही नस्ल उजाड़ रहा है
अपने छोटे से स्वार्थ के लिए
सृष्टि का सतुंलन बिगाड़ रहा है
धरती का श्रृंगार मिटाने को
अरे क्यों तू तुला हुआ है
पेड़ नहीं तो तू भी नहीं
अरे क्यों तू भुला हुआ है
फल- फूल, छांया- छाल
जब मिलते है बिन मोल के
आखिर पाना चाहता है क्या
तू हवाओं में जहर घोल के
बिन पेड़ो के एक दिन
देखना मंजर खौफ़नाक होगा
प्रायश्चित तो तू करना चाहेगा
पर पाप ना तेरा माफ़ होगा।।