इक़्कीसवीं सदी और मनुष्य
इक़्कीसवीं सदी और मनुष्य
रोटी-सब्ज़ी,चावल-दाल,
जानवर, खाते-खाते
मनुष्य अब ऊब चुका है,
न जाने कितने वर्षो से
मनुष्य इन्हीं सब चीज़ों का
सेवन करते आ रहा है,
इक़्कीसवी सदी जहाँ-
विज्ञान ,आधुनिकता
का बोलबाला है
वहाँ अब मनुष्य भी
अति-आधुनिक हो जाना चाहता है
अब मनुष्य खुद मनुष्य
को ही खा जाना चाहता है।।