Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Omdeep Verma

Tragedy

4.0  

Omdeep Verma

Tragedy

किसान

किसान

1 min
376


तीन बजे उठकर काम लग जाता है जो 

क्या पता उसे मुर्गे की बांग का। 

आधी रात तक आंखों में नींद ना होती 

क्या मजा उसे हसीन रात का।


हीटर लगा कर सो रहे होते हो तुम 

वो ठिठुरती रातों में थर्रा रहा होता है। 

जिस वक्त लोगों की मॉर्निंग वॉक होती है 

वह खेतों में पानी लगा रहा होता है। 


जिसके उगाए अन्न पर दुनिया पलती  

कभी-कभी वो खुद भूखा सो जाता है। 

मौसम की मार जब कहर बरपाती 

मन दुनिया को छोड़ने को हो जाता है। 


जल जाती है कभी फसलें पकी हुई 

बेवक्त की कभी बरसात मार जाती है। 

मिट्टी में मिट्टी होते होते एक दिन 

किसान की तकदीर हार जाती है। 


गँवार लगता है अन्नदाता तुमको 

तुम्हारी नजरों में उसका कोई दाम नहीं। 

दिन-रात बस काम ही काम 

किसान की जिंदगी में लिखा आराम नहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy