अशांती
अशांती
जब तुम मुझसे बात नहीं करते
तो सब मसान ही मसान है।
ऐसे लगता है जैसे
बिखरी हुई जिंदगी को समेटना आसान है
टूटी हुई को समेटना बहुत मुश्किल
अभी
बहुत दूर है किनारा
अभी देर है आने मे मंज़िल
इरादे मज़बूत है मगर हौंसला कमज़ोर
रिश्तो ने बांध रखी है पक्की सी एक डोर
ग़लत पर ज़्यादा जो़र दिया जा रहा है
सही को दबाया जा रहा है
नींद खू़ब है चैन एक पल का नहीं
खु़शी खू़ब है, तसल्ली एक पैसे की नहीं
आगे कांटे हैं पीछे आग है ,
जहां खड़ी हूं वहां चरित्र पर दाग है।
याद बहुत आती है उनकी मगर रो नहीं सकती।
कमज़ोर लगता है, दिल धड़कता है,
सांसें तेज़ हो जाती हैं।
अकेली दीवार जैसे कुछ बोल रही हो,
जिंदगी दर्द में जैसे तोल रही हूं।
भारी भारी सा लगता है।
रात नाखुशी में और दिन चिंता में ढलता है।
मंजिंल सामने है, रास्ता बहुत कठिन।
आस खत्म है मगर उम्मीद ज़िदा, तंदुरुस्त
वक्त दूर है देर से आएगा मगर आएगा दुरुस्त।
जब तुम बात करोगे।।
जब तुम बात करोगे।।
