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Manpreet Kaur

Inspirational Others

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Manpreet Kaur

Inspirational Others

Ask

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बस यही सवाल मैं ख़ुद से हर बार करती हूं 

क्या मैं अपनी मन की सुन कर कोई गुनाह करती हूं?


Political science में पढ़ती हूं

society, community, equality, liberty

उसमें तो सब मिल जुल के रहना सिखाते हैं।

पर ऐसा तो कुछ भी नहीं है।

यहां तो लोग मेरी आजादी देख कर बातें बनाते हैं 


फिर से वो ही सवाल मैं अपने आप से करती हूं 

क्या मैं अपने मन की सुन कर कोई गुनाह करती हूं 


तो Marxवाद में शामिल हो जाऊं?

जो हर चीज के अधीन पर favour में बोलता है।

या चुप हो जाऊं ये सोचकर के ये सब तो चलता रहता है।


बस यही सवाल मैं खुद से हर बार करती हूं 

क्या मैं अपनी मन की सुन कर कोई गुनाह करती हूं?


ये जो आज पास झुके हुए सर देखती हूं

क्या इन्हें अपने जिंदा रहने की खुशी है 

या दूसरों के जिंदा रहने का ग़म?


किसी से पूछोगे (ask) तो जवाब समझ नहीं पाओगे

भेड़ चाल में रहोगे तो खो जाओगे 

पर सवाल उठाओगे तो जवाब अंदर ही पाओगे


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