कोरोना का कहर
कोरोना का कहर
सुनसान सड़के, सुनसान शहर।
वक्त मानो बिल्कुल गया ठहर।
घर में कैद हो गया है इंसान
बाहर कदम कदम घुला जहर।
अपनों से ही दूरियां बन गई
छाया ये कैसा दुनिया पर कहर।
बर्बादी का नया नाम ईजाद हुआ
डर इसी का सताए आठों पहर।
शोर, धुएँ से हुआ मुक्त आसमा
बिल्कुल साफ हुई नदियां नहर।
पशु- पक्षी है आज आजाद सारे
दौड़ रही उनमें खुशियों की लहर।
'ओमदीप' कर अरदास उससे
मेरा मालिक करेगा सब पर मेहर।।
