महामारी से भयभीत ये दुनिया
महामारी से भयभीत ये दुनिया
मृत्यु लोक यानि ये दुनिया
करोना की महामारी से भयभीत है
हम सब लोग खुद को बचाने के लिए
सक्रिय हैं
बन्द कर लिया खुद को अपने घर में
बाहर निकलते हैं तो
बचते हैं किसी की मुलाकात से।
बस केवल मनुष्य है
जो इस संक्रमण से पीड़ित हो
सकता है और
दूसरे को संक्रमित कर सकता है।
एक निर्णय है हमारा
न करोना से संक्रमित होंगे
किसी को संक्रमित करेंगे।
एक दवा भी है
एक रक्षा कवच भी है
हमारा ये एकाकीपन।
कितना दिलचस्प मंजर भी है
इस महामारी के समांतर
हमारे ही अंदर
अस्तित्व में।
आनन्द संदूषित होकर
अमृत कण में बदल गया है
झर रहा है बूँद सा
जहाँ गिरेगी इसकी बूँदें
जंगल में, पठार में
रेगिस्तान में, तूफान में
उग आएगी हरियाली
जीवन की तरह।
