क्या कोई उर्मिला बन पाएगी
क्या कोई उर्मिला बन पाएगी
राम बने, लक्षमण भी बने
और बने कृष्ण के अवतार
यह पीड़ क्या कहलाएगी
क्या कोई उर्मिला बन पाएगी
देवी का रूप त्याग की मूरत
नारी की जाने कितने बखान
पर क्या तू विरह झेल पाएगी
क्या कोई उर्मिला बन पाएगी
भरी पड़ी मिसाल निडरता की
तू बनी मिसाल इंसानियत की
क्या कलम यह लिख पाएगी
क्या कोई उर्मिला बन पाएगी
नारी तू तो हैं आधार धर्म का
नारी तू ही तो हौसला मर्द का
क्या तू खामोश सब सह पाएगी
क्या कोई उर्मिला बन पाएगी
ग्रंथ लिखे खण्ड काव्य लिखे
लिखे तेरे ही गुण गान हजार
पर क्या तू गुम नाम रह पाएगी
क्या कोई उर्मिला बन पाएगी
