कश्मकश
कश्मकश
ना जाने कैसी ये कश्मकश है,
उदास हूँ, हैरान हूँ,
परेशान हूँ
दुनिया की तकलीफ से !
दुनिया मे इस कदर
परेशानियों का,
सैलाब सा
उमड़ा हुआ है
जन-जीवन त्रस्त हो गया,
कितनो के परिवार
तबाह हो गए
कितने अपनों से हमेशा के लिए
दूर हो गए
कितनो के रोजगार
छीन गए
कितनो को रोटी नहीं
मिल रही
चारों तरफ अफरा तफरी
मची है
अमीर हो या गरीब हर तबका
परेशान है।
