तुम्हारी याद
तुम्हारी याद


हर शाम तुम्हारी याद
बाट जोहती है ,
कब आओगे तुम
ये मुझसे पूछा करती है ।
तकती है राहे तुम्हारी
मनमानियां ये किया
करती है ।
हर शाम तुम्हारी याद
बाट जोहती है ,
कब आओगे तुम
ये मुझसे पूछा करती है ।
लगता है वही कहीं थम
सी गई है शाम भी
शायद वो अपने घर
जाना भूल गई है ।
हर शाम तुम्हारी याद
बाट जोहती है ,
कब आओगे तुम ये
मुझसे पूछा करती है ।
ढलना था शाम को
रात के आगोश में
पर शायद कहीं वह
ढलना भूल चुकी है ।
हर शाम तुम्हारी याद
बाट जोहती है ,
कब आओगे तुम
ये मुझसे पूछा करती है ।
कब आओगे तुम ये मुझसे
पूछा करती है ।