समझदार
समझदार
मैं बदला नहीं, समझदार हो गया हूँ,
मेरे दर्द से हर किसी को दर्द नहीं होता,
हर साथ चलने वाला हमसफ़र नहीं होता,
अब मैं हक़ीक़त का तलबगार हो गया हूँ
मैं बदला नहीं, समझदार हो गया हूँ,
हँस-हँस कर भी धोखे दे जाते हैं,
दुनिया वाले मुझे ही मेरा दुश्मन बता जाते हैं
अब मैं मुस्कानों का जानकार हो गया हूँ
मैं बदला नहीं, समझदार हो गया हूँ,
ख़्वाब देखने के लिए, अब सोता नहीं,
हर छूटते मक़ाम पर, अब रोता नहीं,
अब मैं अपने सुकून का हक़दार हो गया हूँ ।
