तड़प
तड़प
मेरी आँखो में जो पानी है
सब अपनों की मेहरबान है।
बात दिल की कही है,
मत समझे कोई जुबानीहै ।
जब कभी तकरार हुई,
दिल में ऐसी टकराव हुई,
नैनों की फिर बरसात हुई।
जो कही गई वो सही न गई,
लगा की बात अनजानी है,
मेरी आँखों में जो पानी है
सब अपनों की मेहरबानी है
कुछ सुन लीं, कुछ सुनते सुनते लगा की
वो अपनी नहीं बैगानी है,
मेरी आँखों में जो पानी है,
सब अपनों की मेहरबानी है।
जब अपने बहुत सताते हैं
मन के ज्जबात घुल जाते हैं,
लगता है सब दूनिया बैगानी है,
मेरी आँखों में जो पानी है
सब अपनों की मेहरबानी है।
कभी रोक के आँसू देख लिया,
कभी बहती आँखों को सोख लिया,
रूक न सकी बात रूहानी है,
मेरी आँखों में जो पानी है
सब अपनों की मेहरबानी है।
जब किस्से याद बन जाते हैं,
कुछ अरमान बन कर बहते हैं,
सुदर्शन अनजान के लिए सब नादानी है,
मेरी आँखों में जो पानी है सब अपनों की मेहरबानी है।

