पराधीन
पराधीन
विचारों के कैद में अगर कोई हो तो
उसकी सोच भी पराधीन हो जाती है!
विचारों को अगर कैद में रखा जाए तो
जीवन में विविधता विलीन हो जाती है!
आगे बढ़ने के सारे मार्ग बंद हो जाते हैं
उन्नति के आसार भी कम होते जाते हैं!
इसलिए खुद को खुलने दो खिलने दो,
अपने विचारों को पनपने व सिरजने दो!
अपनी प्रतिभा को आयाम व विस्तार दो
और खुद को निरंतर निर्बाध निखरने दो!
अपने व्यक्तित्व की चमकती व दमकती
आभा को चारों ओर छनकर बिखरने दो!
