कर जाओ या मर जाओं
कर जाओ या मर जाओं
उस कछुए की तरह क्यों बनना चाहते हो
जो अपने अंदर छिपकर दुनिया से डरता है
तुम वो कछुआ क्यों नहीं बनते जो समंदर को
चीरकर एक से दूसरे छोर तक पहुँच जाता हैं
तुम उन परिंदों की तरह क्यों करना चाहते हो
जो कुछ दूर जाकर वापस घोसले तक आ जाए
उड़ान भरो तो उस बाज की तरह भरना
जो एक शिकार के बिना कभी वापस न आए
तुम उस इंसान की तरह क्यों बनना चाहते हो
जो सोते-सोते अपना जीवन गवा देता है
बनना है तो क्यों न उस इंसान की तरह बनो
जो अपने सपनों में भी जागता रहता हैं
और अगर बनना चाहते हो तो उनकी तरह बनो
जिनकी इस दुनिया में मिसाल दी जाए
कम से कम उनकी तरह बिलकुल भी नहीं
जिन लोगों को जहन से निकाल दिया जाए
क्योंकि छोटे-मोटे दौड़ से हासिल तो कुछ नहीं होगा
अगर दौड़ लगाना है तो जिंदगी की लगाओ
जहाँ एक बाजी लगाकर सिकंदर बन जाओ
या तो कुछ कर जाओ या तो करते-करते मर जाओ