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Riyaz Khan

Drama

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Riyaz Khan

Drama

इंक़लाब है क़लम !

इंक़लाब है क़लम !

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बंदूक़ जुके ना जबतक 

मेरा क़लम नहीं रुकने वाला

मेरा क़लम नहीं ज़ुखने वाला।


फ़ासिस्म का परचम तुम हटाओ 

ये लाल रंग नहीं हटने वाला। 

कोशिश करलो तुम भी जितने 

ये हाथ नहीं ज़ुखने वाला।


साथ चलेंगे हाथ पकड़ कर 

ये क़दम नहीं रुकने वाला। 

मेरा क़लम नहीं जुकने वाला 

मेरा क़लम नहीं रुकने वाला। 


इंक़लाब ज़िंदाबाद

ये बोल बेहद जज़्बाती हैं। 

ग़ुलामी सहली जिथनी सहनी थी 

अब आख़िरी मंज़िल आज़ादी है।


शिक्षा लो शिक्षित बनो 

शिक्षा इंक़लाबी हैं।

लिख कर रखलो ये

सोच नहीं मिटने वाला।

 

बंदूक़ जुके ना जब तक 

मेरा क़लम नहीं रुकने वाला 

मेरा क़लम नहीं जुकने वाला।


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