आखिरी मोहब्बत !
आखिरी मोहब्बत !
बग़ीचे की खुशबू तितली को वहाँ तक ले आई
वही खुशबू उसे मौत के कगार पर ले आई !
वो चाँद है उसकी चांदनी में चलना अच्छा लगा
वो शजर है उसकी चाऊँ में सोना अच्छा लगा !
ये चाँद, शजर, तितली ये ख्वाब इस ख्वाब की
एक खूबसूरत इमारत थी वो !
पहली नहीं कहता मैं मेरी आखिरी मोहब्बत थी वो !
समुन्दर की गहराइयों से गुज़र रहा था में
शहर की गलियों से जून्ज रहा था में !
नजर ना लगें खाला धागा बाँदा था उसने
ख़ुदा को नहीं मानता था मैं
दुआ को मेरा हाथ उठवाया था उसने !
नमाज़ पढ़ रहा था मैं मेरी आखिरी रकाअत थी वो
पहली नहीं कहता मैं मेरी आखिरी मोहब्बत थी वो !
इश्क़ हे उसे खुदा नहीं कहता हूँ मैं
मुशरिख ना होजाऊं डरता हूँ मैं !
मुसाफिर मिले थे अनजाने होकर
बिछड़े थे हम जानकर !
वो थो नहीं रही रही उसकी यादों से कहता हूँ आहिल
मुझे लिखना है और प्यार कर !
पायल की घुंघरू निकाले रखा था
मुझे एहसास दिला उसके होने का आवाज़ कर !
इश्क़ और इन्किलाब का संदूक है मेरी ज़िंदगी
मेरे यादो की अनमोल दौलत थी वो !
पहली नहीं कहता मैं मेरी आखिरी मोहब्बत थी वो !

