दरिया !
दरिया !
मुझे इश्क़ था एक दरिया से,
जो भरी में सूख गया !
प्यासे लब और प्यासी आँख,
छोड़ कर वो दूर गया !
ऐसी क्या ही जल्दी थी,
मज़दूरी छोड़ मजदूर गया !
बताती है रस्सी राज़ दहके की,
लिख कर शायरी वो मजबूर गया !
पहले थामा हाथ मेरा,
फिर मेरी आँखों से दूर गया !
इसे कहते है करना धोका ख्वाबों से,
ख्वाब दिखाकर वो दिल तोड़ गया !
मुझे इश्क़ था एक दरिया से,
जो भरी बारिश में सूख गया !