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Kirti Prakash

Action

3  

Kirti Prakash

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हादसों

हादसों

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हादसों !

ज़रा देर ठहर जाओ

मैं ख़ुशी की सफों को

मोड़ तो लूँ

और गिन लूँ


उँगलियों पर कि

कब फिर आएगी वो रात

जिसमे सपने सुहाने होंगे

ख़्वाब ही सही


प्यारे प्यारे होंगे

अभी तो दिल के

अजीब मंजर हैं

आँखों में समंदर हैं


घने जंगलों की साँसे

सुनती जा रही मै

उनकी आवाज़ ना सुन पाऊँगी

दरिया में चाँद डूब रहा है


और मैं घने जंगलों से

गुज़र रही हूँ

इससे पहले कि चाँद डूब जाये

और अँधेरे मेरे पैरों में

जंज़ीरें पहना दे


मैं जुगनुओं को

दामन में समेट लेना चाहती हूँ

अंधेरों के खिलाफ़

ये लड़ नहीं सकेंगे मगर

जानती हूँ


दुश्मनों को पीठ दिखाने से

बेहतर है

युद्धभूमि में लड़ते हुए

वीरगति को प्राप्त हो जाना !


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