झूठ लाजवाब
झूठ लाजवाब
जब हर सच मेरी ज़ुबान पे था
उसको यक़ीन ना आया
अब सोचती हूँ बोल दूँ
एक झूठ लाजवाब कोई
प्यार में तेरे मैंने नींद गवाँयी थी
बिछड़ के तुझसे फिर मै चैन से सोयी...
जब हर सच मेरी ज़ुबान पे था
उसको यक़ीन ना आया
अब सोचती हूँ बोल दूँ
एक झूठ लाजवाब कोई
प्यार में तेरे मैंने नींद गवाँयी थी
बिछड़ के तुझसे फिर मै चैन से सोयी...