Kirti Prakash
Abstract Others
तू मेरे हाथ में एक टुकड़ा
आसमान का दे के तो देख
ऐ ख़ुदा! मैं धरती के ज़र्रों को
सितारों सा जिया दे दूँ...
लव यू पापा
बन जाओ इंसान
दर्द शायरी है
झूठ लाजवाब
सखी साजन
दिल
वक़्त की तहरी...
ख़ुदा
दुआ मेरी
दर्द
परिवार के सूत्रधार है बराबरी का सवाल ही नहीं आता श्रेष्ठ कहीं है पहले से,.... परिवार के सूत्रधार है बराबरी का सवाल ही नहीं आता श्रेष्ठ कहीं है पहले से,...
हाँ ये सच है मेरी कविता मेरी खुद की परछाई है। हाँ ये सच है मेरी कविता मेरी खुद की परछाई है।
देख नभ में तारों की बारात कुमुदिनी करती सिंगार रात देख नभ में तारों की बारात कुमुदिनी करती सिंगार रात
हिंदी का सम्मान करेंगे, पुष्पित पंक सरोवर हिंदी। निज संस्कृति का मान करेंगे, गौरव। . हिंदी का सम्मान करेंगे, पुष्पित पंक सरोवर हिंदी। निज संस्कृति का मान करेंग...
थे गुनहगार दोस्तो ! हम भी तुमने ही ज़िन्दगी तबाह न की। थे गुनहगार दोस्तो ! हम भी तुमने ही ज़िन्दगी तबाह न की।
समुद्र में अवसाद की तरह, अवसाद और चिंता हमारे मन में होने वाले जलवायु परिवर्तन हैं। समुद्र में अवसाद की तरह, अवसाद और चिंता हमारे मन में होने वाले जलवायु परिवर्तन ह...
( यह कविता मूलतः स्पेनिश में लिखी थी और मैंने स्वयं इसका अनुवाद किया है।) ( यह कविता मूलतः स्पेनिश में लिखी थी और मैंने स्वयं इसका अनुवाद किया है।)
गुरूजन भी मिले अरमान भी खिले मगर खुद से खुद को मिलाने का कोई ज्ञान न पाया गुरूजन भी मिले अरमान भी खिले मगर खुद से खुद को मिलाने का कोई ज्ञान न पा...
सरलता और सरसता का भावनाओं और अभिव्यक्तियों का रंगों और रस्मों का। सरलता और सरसता का भावनाओं और अभिव्यक्तियों का रंगों और रस्मों का।
उन फूलों से आँखें चुराता हुआ जिनको बाग़ नहीं मिला। उन फूलों से आँखें चुराता हुआ जिनको बाग़ नहीं मिला।
वरना यह स्वयं द्वारा हारी एक अतुल्य स्मृति होती है ! वरना यह स्वयं द्वारा हारी एक अतुल्य स्मृति होती है !
दर्द नहीं सुकून हूँ मैं, मैं ईश्वर की अनुपम रचना नारी हूँ। दर्द नहीं सुकून हूँ मैं, मैं ईश्वर की अनुपम रचना नारी हूँ।
गहराई में रब की छवि देख लीजिये मन सागर को शांत करने का कोई तरकीब सीख लीजिये। ... गहराई में रब की छवि देख लीजिये मन सागर को शांत करने का कोई तरकीब सीख लीजिये। ...
असीम समुद्र के बीच खोया मांझी, भयभीत, चिंतित, उदास, ज़मीन की तलाश में भटकता। असीम समुद्र के बीच खोया मांझी, भयभीत, चिंतित, उदास, ज़मीन की तलाश में भटकत...
किसी अनिष्ट की कल्पना रुह तलक चली जाती है। मानो जिस्म में जान सा मन में कल्पना। किसी अनिष्ट की कल्पना रुह तलक चली जाती है। मानो जिस्म में जान सा मन में...
दिल से ज़्यादा तो न होगी चीज़ सस्ती एक दिन। दिल से ज़्यादा तो न होगी चीज़ सस्ती एक दिन।
उस एहसास ने ही मेरे आसमाँ की ऊंचाइयों को कम कर दिया। उस एहसास ने ही मेरे आसमाँ की ऊंचाइयों को कम कर दिया।
ज़िन्दगी की होड़ में फ़िज़ूल सी दौड़ में, बेवजह जखम लिए परेशान ही रहा हूं मैं। ज़िन्दगी की होड़ में फ़िज़ूल सी दौड़ में, बेवजह जखम लिए परेशान ही रहा ह...
उस साधक को यह जगत, झुककर करे प्रणाम। उस साधक को यह जगत, झुककर करे प्रणाम।
जो पूछना नहीं भूलते जो पूछना नहीं भूलते