दर्द
दर्द
दर्द फिर मुस्कुरा उठते हैं
जब भी मिल जाता है
उसका कोई चाहने वाला
मैं साथी बदल भी लूँ
तो कहाँ कहाँ
यही चमन उसका भी यही वतन मेरा भी...
दर्द फिर मुस्कुरा उठते हैं
जब भी मिल जाता है
उसका कोई चाहने वाला
मैं साथी बदल भी लूँ
तो कहाँ कहाँ
यही चमन उसका भी यही वतन मेरा भी...