Kirti Prakash
Drama Others
ख़ुद को मेरी शायरी के
सौदागर कहने वाले
है दम तो आ
आज उस दर्द का सौदा कर ले
जिस दर्द ने मुझे
शायरी करना सिखा दिया...
लव यू पापा
बन जाओ इंसान
दर्द शायरी है
झूठ लाजवाब
सखी साजन
दिल
वक़्त की तहरी...
ख़ुदा
दुआ मेरी
दर्द
मैं संजीदा, मैं अल्हड़ भी कभी यादों में, कभी बातों में। मैं संजीदा, मैं अल्हड़ भी कभी यादों में, कभी बातों में।
जिंदगी तेरे लिए एक नयी सौगात है मेंहदी लगे हाथों से एक नयी शुरुआत है। जिंदगी तेरे लिए एक नयी सौगात है मेंहदी लगे हाथों से एक नयी शुरुआत है।
कवि: मिखाईल लेरमेंतोव अनुवाद: आ.चारुमति रामदास कवि: मिखाईल लेरमेंतोव अनुवाद: आ.चारुमति रामदास
दुनिया चाहे पत्थर हो जाये कभी खुद को पत्थर बनाना नहीं। दुनिया चाहे पत्थर हो जाये कभी खुद को पत्थर बनाना नहीं।
हम आज जुदा होके तुमसे पछताते राह पे जाते हैं ! हम आज जुदा होके तुमसे पछताते राह पे जाते हैं !
भारत देश को हम महान बताते हैं। बस कथनी और करनी में थोड़ा सा अंतर कर जाते हैं। भारत देश को हम महान बताते हैं। बस कथनी और करनी में थोड़ा सा अंतर कर जाते हैं...
तुम पर सब मैं जाऊँ वार। तुम पर सब मैं जाऊँ वार।
भाईचारे, प्रेम हित, अपने सब त्योहार बनी रहे ये रीति यो, महके सब संसार। भाईचारे, प्रेम हित, अपने सब त्योहार बनी रहे ये रीति यो, महके सब संसार।
जब से देखा है हँसते गरीबों के बच्चे पत्थरों में भी दिखता खुदा है मुझे...। जब से देखा है हँसते गरीबों के बच्चे पत्थरों में भी दिखता खुदा है मुझे...।
मंथन में रातें और उम्मीदों में दिन गुजरते हैं ! मंथन में रातें और उम्मीदों में दिन गुजरते हैं !
आ गम को कम करते हैं मन हर उलझन को सुलझाने का दम भरते हैं मन। एकता का गान गुनगुनाते हैं मन। आ गम को कम करते हैं मन हर उलझन को सुलझाने का दम भरते हैं मन। एकता का गान गुन...
कविता मेरी हरी-भरी हरियाली में बगिया की खुशबू बहारों में सृजन और संवेदना में दु:ख दर्द सच और झूठ ... कविता मेरी हरी-भरी हरियाली में बगिया की खुशबू बहारों में सृजन और संवेदना में ...
कृष्ण प्यार में रंग गया जो, कान्हा का हमजोली है होली है भई होली है। कृष्ण प्यार में रंग गया जो, कान्हा का हमजोली है होली है भई होली है।
नभ में तू विचर रहा अविरल, हे मेघ ! बता तू चला किधर ? नभ में तू विचर रहा अविरल, हे मेघ ! बता तू चला किधर ?
आज भी वो करिश्मा है हमारे लिए। फिर भी हम उनके लिए एक फरिश्ता है खुदा का। आज भी वो करिश्मा है हमारे लिए। फिर भी हम उनके लिए एक फरिश्ता है खुदा का।
अब मेरे आशियाने की शोभा बढ़ाती है ये खिड़कियाँ। अब मेरे आशियाने की शोभा बढ़ाती है ये खिड़कियाँ।
अपनी-अपनी खूबसूरती का आँचल सर पर ओढ़े थिरकते इठलाते पूरी कायनात को घेरे। अपनी-अपनी खूबसूरती का आँचल सर पर ओढ़े थिरकते इठलाते पूरी कायनात को घेरे।
कभी देते हो दर्शन तो है लगता लो जी आ गए फिर से चुनाव हैं ? कभी देते हो दर्शन तो है लगता लो जी आ गए फिर से चुनाव हैं ?
तुम्हारी बादशाहत तोड़ देगा हमारे हाथ में इक्का पड़ा है। तुम्हारी बादशाहत तोड़ देगा हमारे हाथ में इक्का पड़ा है।
इसे मंज़िल का दोष न कहिए इसे इत्तेफ़ाक ही कहिए। इसे मंज़िल का दोष न कहिए इसे इत्तेफ़ाक ही कहिए।