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Arunima Bahadur

Action

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Arunima Bahadur

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क्या है जवाब

क्या है जवाब

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गिरा रहे तुम मुझे, अपना आशियाना बनाने को।

प्राणवायु को तरस कर, खोजते मेरे शामियाने को।।


कैसे दे ये आसरा तुम्हे, जिसे तुम कब तोड़ आये?

विकास की अंधी दौड़ में, तुम विचार कहाँ छोड़ आये।


केवल कदम न चल सकेंगे, जब पोषण ही कही न होगा।

केवल तेरा अपना कर्म ही, केवल संग संग ही तेरे होगा।।


रूक जरा मानव तू, देख दो कदम पीछे एक बार चलकर।

हरितमा ने सजाया था, जहाँ मानव का तन मन और जीवन।।


प्रश्न मेरा है ये तुझसे, यहाँ तूने तबसे क्या क्या पाया हैं ?

जब से तूने अपना ही जीवन, मेरे रूप में ढहाया हैं।।


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