आत्मिक यात्रा
आत्मिक यात्रा
काल्पनिक से विचारों की उधेड़ बुन में
हम जिंदगी की हकीकत से रूबरू नहीं हो पा रहे हैं
रख रहे हैं कदम रास्तों पर जरूर
बढ़ भी रहे हैं आगे बेशक मगर
इस यात्रा के बीच में आने वाली छोटी-छोटी ख़ूबसूरत हर शय को
जाने क्यों हम नजरंदाज किए जा रहे हैं
यह छोटी-छोटी खूबसूरत सी अनछुई अनुभूतियां ही तो
हमें अपनी आत्मीय यात्रा की तरफ ले जाती है
और यह हमारी आत्मीय यात्रा ही तो हमें जिंदगी का असली मतलब समझाती है
क्या चाहते हैं हम खुद ही खुद से
और क्यों मिली है हमें यह सांसे
निकलो कभी अपनी आत्मिक यात्रा के सफर पर
जब तक नहीं होंगे खुद से रूबरू
तो फिर जिंदगी की हकीकत कहां समझ आती है
उधेड़बुन कशमकशें बेबुनियाद जलजले
निकलना हो इन सब से बाहर
तो कभी तो मिलो खुद से थोड़ा समय निकालकर.....