यादों की सफाई
यादों की सफाई
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दीवाली की सफाई निपटा
बैठी ही थी थक हार के
फिर भी लग रहा था छूट गया कुछ
सोचा फिर से देखूँ नज़र मार के
बहुत सोचा बहुत देखा... पर कुछ समझ ना आया
बजी फिर घंटी एकदम...दिल ने दिमाग को खटखटाया
बोला मन में जो भर रखा हैं थैला
ना किया साफ तो हो जाएगा विषैला
ईर्ष्या..द्वेष सब बाहर निकाल फेंका
सोचा कर खाली मन को जो होगा जाएगा देखा
पर कुछ था...समझ ना आया इनको रखूँ या फेंकूँ
वो थी मेरी अनमोल खट्टी मीठी.... ""यादें""
नहीं वो मैं खाली कर नहीं पाई
क्योंकि उनमें ही तो थी मेरी जिन्दगी समाई।