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Sapna M Goel

Abstract Tragedy Inspirational

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Sapna M Goel

Abstract Tragedy Inspirational

छल का प्याला

छल का प्याला

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छल का प्याला छलक गया जब

मैं मन ही मन बहुत पछताई..


आंखें मूंद कर क्यूं बैठी थी मैं

क्यों इस जग की झूठी भूमिकाएं मैं समझ नहीं पाई..


कुसूर जमाने का था या छल रही थी मैं ही खुद को 

सोचने समझने की शक्ति होते हुए भी भरपूर

क्यों मैं समझ ना पाई सबको..


आज जब छलक उठा ये प्याला छल वाला

तो पल पल लगी हुई हूं इसको समेटने में..


जो देख लेती छलकने से पहले ही आंखें खोलकर

तो ना करनी पड़ती इतनी जद्दोजहद,

अपनी जिंदगी के सुंदर पटल पर से

इसे साफ करने में.....


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