सुबह का भुला
सुबह का भुला
सुबह का भूला शाम को
गर वापस आ जाए,
अपनी गलती गलती
मान कर जो पछताए।
कथनी करनी केवल न
निज स्वार्थ में हो ,
परोपकार संजोकर उर में
शांति प्रेम सौहार्द बढ़ाएं।
मातृभूमि की गौरव गाथा
साहस शौर्य की परिभाषा,
वीरों के त्याग की अमर कथा
युग युग तक जाएंगे गाए।
अपनी संस्कृति हम भूल रहे
निज मर्यादा संस्कार नहीं,
भारतवर्ष के मातृभूमि को
शिवम् हैं अपना शीश झुकाए।
