निरजा बहनोत
निरजा बहनोत
नाज़ो से पली वो हूर परी, हर महफिल की थी जान
माँ की लाडो, बाबा की गुडिया, थी भाइयों की मुस्कान।
आनंद उसकी फेवरेट फिल्म, वो काका (राजेश खन्ना) की दीवानी थी
पिली कुर्ती पहनके उसको, बर्थडे की फोटो खिचवानी थी।
माँ ने कहा था खतरा आने पर, पेहले तू बच भागना
पर बाबा ने बोला था, कभी हौसला मत त्यागना।
हिन्दुस्तानी, पाकिस्तानी, अमरीकी, जब दुनीया थी गिन रही
इंसानियत को आगे कर, वो इंसानो के लिए थी लड़ रही।
जन सेवा को मन मैं रख कर, शपथ उसे दोहरानी थी
छोटी ही सही पर जिन्दगी उसे, बड़ी जीके जानी थी।
दुश्मन के मनसूबे छलनी कर, दी उनको उसने हार
औरो की हिफाज़त करते करते, बन बैठी आतंकियों का शिकार।
खूद खौफ जदा थी लेकिन, औरो की हिम्मत उसने बाँधी थी
भगत, अजाद और राजगुरु सी वो भी इक बलिदानी थी।
माँ से पूछा लोगो ने, क्या तुमने उसे खिलाया था ?
हीरोइन ऑफ़ हाइजैक, तमगा-ए-इन्सानियत
जैसे सम्मानों को जो उसने पाया था।
माँ ने कहा अशोक चक्र, मैंने कभी ना चाहा था
लोगो ने जब हीरो पाया, मैंने अपना चाँद गवाया था।
दो बेटो की माँ होकार भी, एक बेटी की मन्नत मांगी थी
नहीं पता था २३ की आयू मे उसे, वीरगति प्राप्त हो जानी थी।
किसने सोचा था हीरोइन विज्ञापन की,
रियल लाइफ हीरो बन जाएगी
आंखें सबकी नम करके, वो नभ की सैर लगाएगी।
