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रागिनी सिंह

Action

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रागिनी सिंह

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जो हैं वतन की राह में

जो हैं वतन की राह में

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खालीपन क्या होता है, कैसे जीते हैं आह ! में,

कोई पूछे उनसे जाकर, जो हैं वतन की राह में।


दूर खड़े सीमा पे चौकस, घर को नहीं आ पाते हैं,

इनके ही जागी आँखों से, हम बेख़ौफ़ सो पाते हैं,

अपनी जान गंवा देते हैं, बस गैरों की चाह में

कोई पूछे उनसे जाकर, जो हैं वतन की राह में।


यही देवता बन जाते हैं, यही तो पूजे जाते हैं,

इनसे बड़ा जिगर दुनिया में, कहीं न देखे जाते हैं

सूरज चाँद सितारे कम हैं, रख दें इनकी राह में

कोई पूछे उनसे जाकर, जो हैं वतन की राह में।


देश को देकर लाल जिगर, खाली रखी अपनी झोली,

फिर ना चाँद ईद के देखे, नहीं मनायी फिर होली,

समझते जो उनकी क़ुर्बानी,पलते नहीं गुनाह में

कोई पूछे उनसे जाकर, जो हैं वतन की राह में।


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