ऐसे चढ़ाओ प्रत्यंचा
ऐसे चढ़ाओ प्रत्यंचा
उतनी ही चढ़ाओ धनुष की प्रत्यंचा
जितना तीर आगे बढ़ाना हो,
सही रखो तीर को निकालकर
अगर शिकार तक ले जाना हो।
कमान में धरे रखकर क्या होगा
जब समय रहते उसका उपयोग न हो सके,
किसी को बस डराने से क्या हासिल
जब अस्त्र का प्रयोग ही न हो सके।
इंसान के हाथ का ये छोटा सा खिलौना है
डर के आगे हर कोई बौना है,
टोह लो शिकार की तब बल का प्रयोग करो
मात दो किवदंतियो को, किस बात का रोना है।
हो जुल्म के ख़िलाफ़ लड़ना कभी न डरो तुम,
भूल जाओ सब कुछ आगे बढ़ो तुम।