इश्क़-ए-मातृभूमि
इश्क़-ए-मातृभूमि
इश्क़ करें हम मातृभूमि से, इश्क़ यार से करना क्या ?
मरना है तो मरो देश पर, माशूका पर मरना क्या ?
हमने जिस पर जन्म लिया है, खेले-कूदे हैं जिस पर
जन्मभूमि को छोड़ भला हम, प्यार जताते हैं किस पर ?
देशप्रेम को त्याग प्रिये पर, पल-पल आहें भरना क्या ?
इश्क़ करें हम मातृभूमि से, इश्क़ यार से करना क्या ?
अपना तन-मन वार रहे हैं, माशूका की ख़ातिर हम
बेशकीमती जीवन की बर्बादी करते आख़िर हम।
तो फिर सुंदर देह हमारी, मृत समान है वरना क्या ?
इश्क़ करें हम मातृभूमि से, इश्क़ यार से करना क्या ?
माशूका की ख़ातिर हम ही, प्राण न्योछावर कर जाते
वहीं देश से प्रीत निभाने, जाने फिर क्यों डर जाते।
इश्क़ किया जब मातृभूमि से, तब मरने से डरना क्या ?
इश्क़ करें हम मातृभूमि से, इश्क़ यार से करना क्या ?