गीत - स्वार्गिक सपनों का संसार
गीत - स्वार्गिक सपनों का संसार
तू सपनों की राजकुमारी, मैं सपनों का राजकुमार।
हम दोनों मिल पूर्ण करेंगे, स्वर्गिक सपनों का संसार।।
राजमहल-सा वैभवशाली, चाहे अपना नहीं मकान।
नींव प्रेम की प्रबल रखें तो, उड़ा न सकता दृढ़ तूफान।
एकमात्र अपने जीवन का, होगा प्रिये! प्रेम आधार।
हम दोनों मिल पूर्ण करेंगे, स्वर्गिक सपनों का संसार।।
श्रम से दूर करेंगे दोनों, हो चाहे निर्धनता पास।
सुखमय जीवन करने को हम, सदा करेंगे कठिन प्रयास।
कोई भी दुविधा हो लेकिन, पूर्व करेंगे सोच-विचार।
हम दोनों मिल पूर्ण करेंगे, स्वर्गिक सपनों का संसार।।
कितना भी गुस्सा आ जाए, लेकिन होंगे सुमधुर बोल।
अपने घर की बात नहीं हम, गाँव-गली में पीटे ढोल।
घर की इज़्ज़त स्वयं बचाएँ, अपनी ग़लती कर स्वीकार।
हम दोनों मिल पूर्ण करेंगे, स्वर्गिक सपनों का संसार।।
एक - दूसरे का हम दोनों, हर अवसर में रखें ख़याल।
अपने ही ख़ातिर जीवन में, आए कोई नहीं बवाल।
मैं तेरा सम्मान करूँगा, करना तू मेरा सत्कार।
हम दोनों मिल पूर्ण करेंगे, स्वर्गिक सपनों का संसार।।
हम दोनों से ही आएगी, घर के हर कोने में शान्ति।
हर्षित मन से हमें मिलेगी, अखण्ड-अक्षय-स्वर्णिम-कान्ति।
ईश्वर का वंदन-पूजन कर, प्रकट करेंगे हम आभार।
हम दोनों मिल पूर्ण करेंगे, स्वर्गिक सपनों का संसार।।
