मुझको मेरा कहने वालों
मुझको मेरा कहने वालों
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मुझको मेरा कहने वालों, दिल में भी कुछ जगह रखो
बन जाऊँ मैं मीत तुम्हारा, ऐसी भी कुछ वज़ह रखो।
द्वेष-कपट रख अपने मन में, कहते हो तुम मेरे हो
लाभ स्वयं का देख अरे ! तुम, चहुँओर मुझे घेरे हो।
बात बनेगी तभी हमारी, मेरी बातें सुन लो ये-
मेरी इच्छा जैसी होगी, मुझको तुम उस तरह रखो।
मुझको मेरा कहने वालों, दिल में भी कुछ जगह रखो।
एकमात्र दौलत पाने को, करते हो तुम प्यार मुझे
झूठ-मूठ का दिखावटी बस, करते हो इज़हार मुझे।
मुझे असलियत पता हुआ तो, क्या इज्जत रह जाएगी
इसीलिए कहता हूँ तुमसे, राम-राम की सुबह रखो
बन जाऊँ मैं मीत तुम्हारा, ऐसी भी कुछ वज़ह रखो।
अरे ! सफलता ख़ातिर तुमने, औरों पर बन्दूक रखी
रहे भूख से कई तड़पते, तुमने यह जो भूख रखी।
लाख तरक़्क़ी कर लो जग में, लेकिन ज़्यादा उड़ो नहीं-
भले गगन की सोचो लेकिन, अपने नीचे सतह रखो
मुझको मेरा कहने वालों, दिल में भी कुछ जगह रखो।।