इस दिल वाली बात
इस दिल वाली बात
कैसे मैं कह दूँ प्रिये !, मुश्किल वाली बात
दिल ही दिल में रह गई, इस दिल वाली बात।
चलने का संकल्प था, हाथ पकड़कर दूर-
हाथ छुटा तो रह गई, मंजिल वाली बात।
मिली जीत जब आपको, मुझे मिली जब हार-
दोनों में अंतर बनी, काबिल वाली बात।
जो भी मेरे पास था, दिया आपको मीत-
फिर भी मुझसे कर गए, हासिल वाली बात।
पढ़े-लिखे थे आप तो, मैं प्रिये ! निरा गँवार-
खुद ही मुझसे कर गए, ज़ाहिल वाली बात।
समझाने बस आपको, मारे थप्पड़ चार,
मुझसे जो की आपने, क़ातिल वाली बात।
मैंने की थी प्यार से, मीठी बातें मीत-
लेक़िन कर दी आपने, बेदिल वाली बात।।