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Bhaurao Mahant

Abstract

4.9  

Bhaurao Mahant

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देवता पाषाण के

देवता पाषाण के

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देवता पाषाण के इतना बता दो

और कितने दिन शिला बनकर रहोगे।


आप सुनते ही नहीं विनती हमारी,

क्यों भला बिगड़ी नहीं बनती हमारी,

द्वार कितनी बार आये कर पसारे

खत्म पूरी हो चुकी गिनती हमारी।


लो परीक्षा पर हमें इतना बता दो

और कितने दिन भला तन कर रहोगे।

देवता पाषाण के इतना बता दो

और कितने दिन शिला बनकर रहोगे।


यह गरीबी प्राण लेने को है' आतुर,

आपको बस देखते हैं हम क्षुधातुर, 

नाम तारणहार होकर आप फिर भी

भक्त स

े मिलने भला क्यों हो अनातुर।


गलतियाँ हम से हुई हो तो बता दो

और कितने दिन प्रभो ! ठनकर रहोगे।

देवता पाषाण के इतना बता दो

और कितने दिन शिला बनकर रहोगे।


खिन्नता जो आपकी हम पर रही है, 

इस तरह व्यवहार पर अच्छा नहीं है,

मूर्ख हैं हम, आप तो सब जानते हो

क्या गलत है और जग में क्या सही है ?


फैसला है क्या किया खुद ही बता दो

और कितने दिन व्यथा सुनकर रहोगे।

देवता पाषाण के इतना बता दो

और कितने दिन शिला बनकर रहोगे।


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