अपनी पहचान
अपनी पहचान
अपनी खुशी खोजने लगे हैं,
आज हम अपने लिए जीने लगे हैं।
कभी हम रहते थे दूसरों की कैद में,
आज हम अपनी आजादी में आगे बढ़ने लगे हैं।
कभी हम सिर्फ दूसरों की पसंद जानते थे,
आज हम अपनी पसंद भी जान गए हैं।
दूसरों की बातें सोच कर परेशान रहते थे,
आज हम उस बातों की कहानी लिख रहे हैं।
शुक्रिया मंच का जिसने हमें यह मौका दिया,
हम अपनी पहचान भी बनाने लगे हैं।