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sargam Bhatt

Tragedy Action Fantasy

4  

sargam Bhatt

Tragedy Action Fantasy

इजहार ए दिल

इजहार ए दिल

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गुनगुनाते हुए आंचल की हवा दे मुझको

अंगुलियां फेर के बालों में सुला दे मुझको


जिस तरह फालतू गुलदान पड़े रहते हैं

अपने घर के किसी कोने में लगा दे मुझको


याद करके मुझे तकलीफ़ ही होती होगी

एक किस्सा हूं पुराना सा भुला दे मुझको


डूबते-डूबते डूबते आवाज तेरी सुन जाऊं

आखिरी बार तू साहिल से सजा दे मुझको


मैं तेरी याद में चुपचाप न मर जाऊं कहीं

मैं हूं सदमे में कभी आकर रुला दे मुझको


देख मैं हो गई बदनाम किताबों की तरह

मेरी तस्बीर न कर अब तो जला दे मुझको


रूठना तेरा मेरी जान लिए जाता है

ऐसे नाराज न हो हंस के दिखा दे मुझको।


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