मणिपुर घटना
मणिपुर घटना
कब तक निर्वस्त्र होती रहेंगी द्रौपादियां।
कब तक चीरहरण करवाओगे।।
कदम-कदम पर दुशासन बैठे हैं
कैसे लाज बचाओगे।।
सभ्यता की सीढ़ियां चढ़े समाज में।
कितना और व्यभिचार बढ़ाओगे।।
नारियों को अपमानित करते,
और मूर्तियों पर चुनरियां चढ़ाओगे ।
लुट गई जो अस्मिता देश की
उसे पुनः कैसे लौटा पाओगे।।
कदम-कदम पर दुशासन बैठे हैं ।
कैसे लाज बचाओगे।।
धृतराष्ट्र न बन जाए कानून देश का।
क्या अपराधियों को सूली चढ़ाओंगे।।
पूछती हैं आज आधी आबादी देश की।
तुम कैसे हमारा मान बचाओगे।।
ऐसे ही लुटती-कटती रहेंगी बेटियां।
या कोई सुदर्शन धारी बनकर आओगे।।
कब तक निर्वस्त्र होती रहेंगी द्रौपदियां।
कब तक चीरहरण करवाओगे ।।
कदम-कदम पर दुशासन बैठे हैं।
कैसे लाज बचाओगे।।
