STORYMIRROR

Swati Tyagi

Tragedy

3  

Swati Tyagi

Tragedy

कल

कल

1 min
334


आँखें बंद किये जाने क्या सोचते हैं

सपनों में भी कल की परछाइयाँ खोजते हैं।


बीते हुए कल का हर क़तरा संजोते हैं

कल का हाथ थामे हम कल के लिए बढ़ते हैं।


जा पाए जो वापिस कभी तो फिर से जियेंगे हम

गलतियाँ कुछ हुयी थीं तभी, अब ठीक करेंगे हम।


शुरू से शुरू करने को मैं मचलता है

कभी हम संभालते हैं, कभी खुद संभालता है।


गिरता है, डरता है, फिर आगे चलता है

जो बीत गया मन को बस वो ही अपना लगता है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy