बाजार
बाजार
बाजार सजा है
तुम्हारी प्यास बुझाने को
तुम वहां रोज़ जाते हो
फिर भी उसे वैश्या कह
तिरस्कृत करते हो
और ख़ुद सम्मानित
कहलाते हो
बीवी के रहते हुए भी
रासलीला रचाते हो
और ख़ुद को कृष्ण
सरीखे बताते हो
इतने सब पर भी
जाने क्या बाकी
रह जाता है कि
तुम बलात्कार
पर बलात्कार
करते हो
ख़ुद को तो बाइज्ज़त बरी
कर लेते हो और
उसको पीड़िता बता
बहिष्कृत करते हो
उसके पहनावे
उसके चलने के तरीके
उसके मेकअप
उसके घर से बाहर
निकलने के समय
सब पर दोष मढ़ते हो
पर ख़ुद को साफ़
बचा लेते हो ..
हर बार लगातार
सारी परिस्थियों में
ख़ुद को दोषरहित
बताते हुए
साफ़ बचा लेते हो !!