डरपोक औरतें
डरपोक औरतें
समाज के कुछ तबकों को औरतों से इतनी नफ़रत है कि वे अनेकों घृणित नामों से उसे नवाज़ते हैं कभी रखैल, कभी वैश्या तो कभी बदचलन सोचती हूँ मैं अगर मर्द होते ही नहीं तो इन नामों का कोई मतलब ही नहीं रह जाता इन नामों से सिर्फ औरतों को ही इसलिए जोडा़ जाता है कि औरतें प्रतिशोध से परे हैं लाज का दही मुँह पर जमाये फिरती हैं इसी तबके के लिये इन्हीं तबकों में से इन्हीं मर्दों के लिये भी कई शब्द हैं लेकिन नहीं करतीं इस्तेमाल इन शब्दों को ये खुदगर्ज, मनहूस और डरपोक औरतें