Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rewa Tibrewal

Abstract

4  

Rewa Tibrewal

Abstract

अगले जन्म का साथ

अगले जन्म का साथ

1 min
365


वो तुम्हारे जैसे क्यों नही हो सकते

ये सवाल बार बार आता है मन में 


उनको मैंने अपने जिंदगी के 

सबसे कीमती पल अपने सबसे 

कीमती साल दिए 

उन्हें मैंने सम्मान दिया प्यार दिया 

और ख्याल रखा (जो 

प्यार के साथ खुद ब खुद चला आता है)

अपना हाथ अपना साथ दिया 


कंधे से कंधा मिला कर चली हूं 

बिना किसी सवाल बिना किसी अफसोस के 

बदले में चाहा भी है (झूठ नहीं बोलूंगी )

ढेर सारा प्यार और खयाल 

पर उन्हें न समझना था न समझे मुझे कभी 

आज जीवन के इस पड़ाव ने मुझे ये सब सोचने पर

मजबूर कर दिया है


इससे इतर

तुम्हे इनमे से मैंने कुछ नहीं दिया 

सिर्फ प्यार और ढेर सारा प्यार दिया 

वो भी बदले की चाह में की तुम भी मुझे 

उतना ही प्यार करोगे 


तुम्हारा खयाल भी बदले की चाह में रखा 

क्योंकि मुझे भी अपना ख्याल रखने वाला

चाहिए था

महसूस करना था की कोई जब ख्याल

रखे तो कैसा लगता है

तुमसे मुझे वो सब मिला जो मैं

चाहती थी 

इतना समझा मुझे की मैंने अपने हर रिश्ते को 

तुम्हारे जरिए जीया है 


विडंबना ये है की मैं स्त्री भी हूं और इंसान भी हूं 

जानती हूं ये जन्म तो उनका ही है सिर्फ उनका

पवित्र बंधन जो है (हां बस बंधन ही तो है)

जिसे नहीं तोड़ सकती क्योंकि 


उस बंधन के साथ जुड़े हैं मेरे बच्चे 

जिनकी कोई गलती नहीं

पर अगर कोई और जन्म है 

तो वो तुम्हारे साथ ही चाहती हूं 

सिर्फ तुम्हारे साथ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract