ओहदा
ओहदा
मुझे मलाल है कि मैं
बुलंदियों को छू ना पाई
पर ये तस्सली भी है
कि जितना कुछ
हासिल किया अपने दम
पर हासिल किया
कभी किसी का सीढ़ी
की तरह इस्तेमाल नहीं किया
मैं जानती हूँ
मैं जहाँ हूँ वहां पहुँचना
दूसरों की लिए
चुटकियों की बात होगी
पर मैं संतुष्ट हूँ ख़ुद से
और यही संतुष्टि हर किसी के
बस की बात नहीं
आपका ओहदा आपकी बुलंदी
आपको बहुत मुबारक
मेरी संतुष्टि मुझे प्यारी है
हाँ एक बात और कहना चाहती हूँ
मुझसे जब भी मिलें
अपने ओहदे की पैरहन
उतार के मिले
क्योंकि मैं मुलाकात
इन्सान से करना पसंद करती हूँ
ओहदे से नहीं।
