मैं जानना चाहता हूँ
मैं जानना चाहता हूँ
सुनो बापू,
तुम कहाँ हो
क्या तुम भी
परलोक सिधार गए।
मैंने बचपन से
केवल तुम्हारा नाम सुना
और एक दिन जाना
कि तुमने तो केवल
आजादी दिलाई थी।
हाँ, मैं नहीं जानता
आजादी की कीमत
क्यूँकि मैंने
गुलामी नहीं देखी
वैसे एक बात पूछूँ
क्या तुम आज भी,
नज़रें गड़ाए हमें देखते हो
मैं जानना चाहता हूँ
और यदि देखते हो
तो क्या लाठी,
आप ही नहीं उठती,
या दृगों की धार
रुक नहीं पाती
मैं जानना चाहता हूँ।।
